Chief Justice of India: कैसे होता है भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का चुनाव? जानें पूरी चयन प्रक्रिया
- News Writer
- 11 Sep, 2024
भारत के न्यायिक तंत्र में मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) का पद सर्वोच्च है। भारतीय संविधान के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश का चयन एक विशिष्ट प्रक्रिया के तहत किया जाता है जो न्यायिक स्वतंत्रता, निष्पक्षता और न्यायपालिका की स्वायत्तता को सुनिश्चित करती है। आइए समझते हैं कि मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया क्या होती है और कौन इसका चयन करता है।
1. मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं है, लेकिन यह सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठता नियमों और परंपराओं के आधार पर होती है। जब वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सेवानिवृत्त होते हैं, तब परंपरागत रूप से सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को यह पद सौंपा जाता है। यह प्रक्रिया वरिष्ठता आधारित चयन कहलाती है, जिसमें यह ध्यान रखा जाता है कि न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान कोई अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, या किसी प्रकार का विवाद न रहा हो।
2. वरिष्ठता का सिद्धांत और परंपरा
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वरिष्ठता का सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण है। वरिष्ठता का अर्थ है कि जो न्यायाधीश सबसे लंबे समय से सर्वोच्च न्यायालय में सेवा दे रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मुख्य न्यायाधीश का पद अधिक अनुभवी और निष्पक्ष व्यक्ति के पास हो। इस परंपरा का पालन करते हुए, प्रधान मंत्री के परामर्श से राष्ट्रपति उस न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करते हैं जो वर्तमान न्यायाधीशों में सबसे वरिष्ठ होता है।
3. नियुक्ति प्रक्रिया में राष्ट्रपति की भूमिका
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत, मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास है। हालांकि, राष्ट्रपति इस निर्णय को स्वतंत्र रूप से नहीं लेते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश का चयन एक विशिष्ट प्रक्रिया के तहत होता है जिसमें वर्तमान मुख्य न्यायाधीश का परामर्श लिया जाता है। मौजूदा CJI अपने पद पर बने रहने तक अपने उत्तराधिकारी के रूप में एक नाम की सिफारिश करते हैं, जो कि वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है। राष्ट्रपति इस नाम की पुष्टि करते हैं और इस तरह अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति होती है।
4. कार्यकाल और सेवा की अवधि
मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई है। इसका अर्थ है कि चाहे उनकी नियुक्ति कितने भी समय के लिए हो, उन्हें 65 वर्ष की आयु तक सेवानिवृत्त होना होता है। कई बार यह देखा गया है कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल कुछ ही महीनों का होता है, जबकि कभी-कभी यह कई वर्षों तक का हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस न्यायाधीश की नियुक्ति कितनी देर से हुई और उनकी उम्र कितनी है।
5. विवाद और सुधार की संभावनाएँ
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर समय-समय पर कुछ विवाद भी उठते रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केवल वरिष्ठता के आधार पर चयन करना हमेशा उपयुक्त नहीं होता। उनका तर्क है कि इस प्रक्रिया में योग्यता, कुशलता और कार्यक्षमता जैसे अन्य मानदंडों को भी शामिल करना चाहिए। इस पर कई विचार किए गए हैं, और न्यायपालिका में सुधार के सुझाव दिए गए हैं, लेकिन वर्तमान में वरिष्ठता आधारित चयन प्रक्रिया को ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।
6. मुख्य न्यायाधीश के चयन में अन्य देशों की तुलना
भारत में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया अन्य लोकतांत्रिक देशों की तुलना में अलग है। अमेरिका में, उदाहरण के लिए, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का चयन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है और इसके लिए कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक होती है। वहीं, भारत में यह नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह से न्यायपालिका के नियंत्रण में होती है, जो न्यायिक स्वतंत्रता को मजबूत करती है।
कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि मुख्य न्यायाधीश का पद भारतीय न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसका चयन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो संविधान, परंपरा और न्यायिक स्वायत्तता का पालन करती है। वरिष्ठता के आधार पर चयन की यह प्रक्रिया न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने में सहायक है बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि सर्वोच्च न्यायालय का नेतृत्व एक अनुभवी और कुशल न्यायाधीश के हाथों में हो। हालांकि, समय-समय पर इस प्रक्रिया में सुधार की मांग उठती रही है, लेकिन वर्तमान व्यवस्था का उद्देश्य न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्थायित्व बनाए रखना है।
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